कानपुर. नरेन्द्र मोदी प्राइम मिनिस्टर ऑफ फॉरेन कंट्री हैं, वह बोलते ज्यादा हैं, काम कम करते हैं। मोदी ने चुनाव में जितने वादे किए, वह सब हवा-हवाई साबित हुए, अटलजी उनसे डरते थे। अटल ने कानून मंत्री के पद से इस्तीफा देने के लिए दूसरे मंत्री से फोन कराया था। बेबाक टिप्पणी के लिए मशहूर राम जेठमलानी ने शुक्रवार की शाम यह बात बर्रा दो स्थित सिंधु इंटर स्कूल में आयोजित ‘लोकतंत्र में विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका और मीडिया की भूमिका’ पर आयोजित संगोष्ठी में व्यक्त किए।
लोकतंत्र पर सीख देते हुए उन्होंने कहा कि मताधिकार का प्रयोग करते समय सजग रहने की जरूरत है। चुनने वाले व्यक्ति को देखे। उनका पिछला चरित्र देखें। वोट के जरिए गलत चुनाव करने वाला मतदाता लोकतंत्र का दुश्मन है। भाजपा का संस्थापक सदस्य हूं। अटल की सरकार बनी तो शहरी विकास मंत्री बना दिया था। लॉ मंत्री बनना चाहता था। यह मौका जयललिता से जुड़े व्यक्ति को दिया गया। सूचना अधिकार तो उस समय ही लागू किया। शहरी विकास मंत्रालय में आदेश किया कि 10 रुपए में किसी भी फाइल की जानकारी ली जा सकती है।
मैंने विरोध किया तो मंत्री पद छीना गया
बताया कि एक साल में 30 लाख गरीबों को मकान देने की योजना बनाई। फैसलों पर किसी ने विरोध करने की हिम्मत नहीं जुटाई। यहां तक कि अटलजी तक डरते थे। जसवंत सिंह के जरिए इस्तीफा मांगा
उन्होंने कहा कि एक दौर यह आया कि मंत्रालय बदल दिया गया। इस बार लॉ मिनिस्ट्री मिली।
उन्होंने कहा कि एक साल के अनुभव वाले एडवोकेट जनरल बनाया गया। फाइल आई तो विरोध किया। मुंबई से पूना जा रहा था। रास्ते में साथी मंत्री जसवंत सिंह का फोन आया। बोले-अटलजी इस्तीफा चाहते हैं। रास्ते में मिली पहली फैक्स मशीन से इस्तीफा दे दिया। वहीं, जेठमलानी ने कहा कि नरेंद्र मोदी चुनाव जीते तो एक अखबार में लेख लिखकर बधाई दी। लेख में कमियां भी गिनाई। यह भी याद दिलाया कि जीत में उनका भी हिस्सा है।
सभी स्तंभ को मिलकर काम करें
मुख्य अतिथि राज्य महिला कल्याण आयोग की अध्यक्ष जरीना उस्मानी ने कहा कि देश का लोकतत्र न्यायपालिका, कार्यपालिका, विधायिका और मीडिया के स्तम्भ पर टिका है। एक भी स्तम्भ कमजोर नहीं होना चाहिए। कार्यक्रम के संयोजक अशोक अंशवानी ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। सभी का सम्मान भी किया गया। इस मौके रमेश अवस्थी, सपा नेता जनेश्वर मिश्र की बेटी मीना तिवारी, नरेश जोतवानी, माला दीक्षित, हरिभाई लालवानी, शहजाद अख्तर, श्रीकांत भाटिया आदि ने विचार व्यक्त किए।
लोकतंत्र का मतलब समझे
सिंधी समाज के लिए विकास की जरूरत पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि बच्चों की इतनी शिक्षा तो होनी चाहिए कि लोकतंत्र का मतलब समझे। राजनीतिक कुर्सी में बैठा है, वह बेईमान है या ईमानदार। भारतीय लोकतंत्र शिक्षा पर आधारित है। वहीं, सिंधियों के चार अवगुण के बारे में जानकारी दी गई। एक चापलूसी की बीमारी है। सिंधी समाज तभी सफल होगा, जबकि कुर्सी कितनी भी ताकतवर हो। उससे दूर रहना होगा। दूसरा अवगुण चड़क है। सच बोलने की हिम्मत सच बोलने की हिम्मत होनी चाहिए। हाकिम कितने बड़े कद का हो। बेईमान को बेईमान कहो। एक दोष चुगली भी है। समाज के लोगों की टांग खिंचाई से बचना होगा। चटा वेदी भी समाज की कमी है। सिंधी अपने से ही दूर भागता है।
चार आना वाले स्कूल में पढ़ा
चार आना फीस वाले स्कूल में पढ़ा। पाठशाला में मार खाते थे। 11 साल की उम्र में मैट्रिक किया। बाबा सफल वकील थे। पिता बाबा के बराबर झंडा नहीं फहरा सके। पिता ने साइंस पढ़ाने के लिए करांची के एक स्कूल में भर्ती करा दिया। लॉ पढ़ना चाहता था। काफी हुज्जत के बाद मुंबई में पढ़ने को लॉ करने का मौका मिला। अब समस्या आई कि 21 साल से पहले वकालत नहीं कर सकते। मुख्य न्यायाधीश को लिखा। अंग्रेज न्यायाधीश ने बात सुनी। बार काउंसिल ने 18 साल की उम्र में विशेष मौका दिया। अमेरिका की एक स्टूडेंट ने उन पर हाल ही में बायोग्राफी लिखी है। इसमें कानून की कई चीजें सीखने वाले पहलु कोट किए गए हैं। भारत में रिफ्यूजी होने से पहले सिन्धु सभ्यता निराली थी। ईद के दिन हिन्दु के बच्चों को नए कपड़े मिलते थे। दीपावली पर मुस्लिम सिंधी बच्चों को उपहार और कपड़े मिलते थे।
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