नई दिल्ली : पुरातन भारत के राजनीति विज्ञान के प्रकांड विद्वानों में शुमार चाणक्य को विष्णुगुप्त या कौटिल्य के नाम से भी जाना जाता है, उनके दिये सिद्धांत आज भी प्रासंगिक माने जाते हैं।
मौर्य साम्राज्य के अभिभावक माने जाते थे चाणक्य
चाणक्य ने महान मौर्य सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के सलाहकार के तौर पर काम किया और मौर्य साम्राज्य में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया। यह कहना गलत नहीं होगा कि उन्होंने मौर्य साम्राज्य के लिये अभिभावक की भूमिका अदा की थी। उनका दृष्टिकोण, कूटनीति और बुद्धिमता ने मौर्य साम्राज्य के विस्तार में बेहद अहम भूमिका निभाई। इसके अलावा उन्होंने चंद्रगुप्त के पुत्र बिंबिसार के काल में भी सेवाएं दी।
बाहरी आक्रमण से मुकाबले की नीति
माना जाता है कि अखंड भारत का सपना भी चाणक्य ने ही देखा जाता है। वे जानते थे कि सभी क्षेत्रीय क्षत्रपों (राजाओं) को एक सूत्र में बांधना बेहद जरूरी है, ताकि बाहरी आक्रांताओं का मुकाबला मजबूती से किया जा सके। उन्होंने अलग-अलग राज्यों के शासकों के साथ अपनी कूटनीतिक दक्षता के माध्यम से गठबंधन किये, जिससे मौर्य साम्राज्य की बुनियाद को मजबूती मिली।
तक्षशिला में भी दिये थे व्याख्यान
प्राचीन भारत की प्रख्यात कृतियों में शुमार अर्थशास्त्र और कौटिल्य नीति का श्रेय चाणक्य को जाता है। आज भी जब प्रशासनिक, आर्थिक नीतियों और सुरक्षा संबंधी रणनीतियों पर काम किया जाता है तो ये कृतियां प्रासंगिक हो जाती हैं। उन्होंने तक्षशिला विश्वविद्यालय में व्याख्यान दिये और उन्हें आचार्य की उपाधि भी दी गई। चाणक्य का योगदान असीमित है। इस महान सलाहकार, शिक्षक, महान विचारक, चिंतक और रणनीतिकार को याद करने का सबसे बेहतर तरीका है कि उनके सिद्धांतों और दृष्टि को जीवित रखा जाए।
मौर्य साम्राज्य के अभिभावक माने जाते थे चाणक्य
चाणक्य ने महान मौर्य सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के सलाहकार के तौर पर काम किया और मौर्य साम्राज्य में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया। यह कहना गलत नहीं होगा कि उन्होंने मौर्य साम्राज्य के लिये अभिभावक की भूमिका अदा की थी। उनका दृष्टिकोण, कूटनीति और बुद्धिमता ने मौर्य साम्राज्य के विस्तार में बेहद अहम भूमिका निभाई। इसके अलावा उन्होंने चंद्रगुप्त के पुत्र बिंबिसार के काल में भी सेवाएं दी।
बाहरी आक्रमण से मुकाबले की नीति
माना जाता है कि अखंड भारत का सपना भी चाणक्य ने ही देखा जाता है। वे जानते थे कि सभी क्षेत्रीय क्षत्रपों (राजाओं) को एक सूत्र में बांधना बेहद जरूरी है, ताकि बाहरी आक्रांताओं का मुकाबला मजबूती से किया जा सके। उन्होंने अलग-अलग राज्यों के शासकों के साथ अपनी कूटनीतिक दक्षता के माध्यम से गठबंधन किये, जिससे मौर्य साम्राज्य की बुनियाद को मजबूती मिली।
तक्षशिला में भी दिये थे व्याख्यान
प्राचीन भारत की प्रख्यात कृतियों में शुमार अर्थशास्त्र और कौटिल्य नीति का श्रेय चाणक्य को जाता है। आज भी जब प्रशासनिक, आर्थिक नीतियों और सुरक्षा संबंधी रणनीतियों पर काम किया जाता है तो ये कृतियां प्रासंगिक हो जाती हैं। उन्होंने तक्षशिला विश्वविद्यालय में व्याख्यान दिये और उन्हें आचार्य की उपाधि भी दी गई। चाणक्य का योगदान असीमित है। इस महान सलाहकार, शिक्षक, महान विचारक, चिंतक और रणनीतिकार को याद करने का सबसे बेहतर तरीका है कि उनके सिद्धांतों और दृष्टि को जीवित रखा जाए।
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