जम्मू: जम्मू-कश्मीर में सरकार गठन पर कायम रहस्य के बीच दिवंगत मुफ्ती मोहम्मद सईद के परिवार ने यहां मुख्यमंत्री का आधिकारिक आवास खाली कर दिया है. इस कदम से यह सवाल पैदा होने लगे हैं कि सईद की बेटी और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती सरकार बनाने को लेकर क्या फैसला करने वाली हैं.
दिवंगत नेता के निधन के 11 दिनों बाद उनकी पत्नी और महबूबा की मां बेगम गुलशन 18 जनवरी को जम्मू सिटी स्थित वजारत रोड पर बने बंगले में गई थीं और परिवार का सारा सामान वहां से ले आयीं. पीडीपी प्रवक्ता और पूर्व मंत्री नईम अख्तर ने बताया, ‘‘मुफ्ती साहब मुख्यमंत्री रहे नहीं, तो जन व्यवहार की सर्वश्रेष्ठ परंपरा का पालन करते हुए 18 जनवरी को उनका परिवार अपना सारा सामान उस मकान से लेकर चला गया.’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसमें कुछ भी राजनीतिक नहीं है. यह एक आम चलन है. मुफ्ती साहब ने हमेशा इसकी वकालत की थी.’’
अख्तर ने कहा, ‘‘वह मुख्यमंत्री का आधिकारिक आवास है. कोई ऐसा शख्स वहां कैसे रह सकता है जो मुख्यमंत्री न हो ?’’ राज्य सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि नियमों के मुताबिक, यदि कोई मुख्यमंत्री नहीं रह जाता है तो एक महीने तक सरकारी आवास में रह सकता है. लेकिन सईद का परिवार उनके निधन के बाद एक महीना इस मकान में नहीं ठहरा.
ठंड के मौसम (नवंबर से अप्रैल तक छह महीने) के दौरान राज्य सरकार का सारा कामकाज जम्मू से होता है और बाकी के छह महीने श्रीनगर से शासन कार्य संचालित किया जाता है. सईद के परिवार का यह कदम काफी अहमियत रखता है, क्योंकि महबूबा को राज्य के अगले मुख्यमंत्री के तौर पर देखा जा रहा है. हालांकि, सरकार गठन के मुद्दे पर उन्होंने रहस्य कायम रखा है.
जम्मू-कश्मीर की 87 सदस्यीय विधानसभा में पीडीपी के 27 और भाजपा के 25 विधायक हैं. पीडीपी ने भाजपा के साथ गठबंधन कर 10 महीने तक राज्य की सरकार भी चलाई. लेकिन सात जनवरी को सईद के निधन के बाद से राज्य में कोई मुख्यमंत्री नहीं है और आठ जनवरी से राज्यपाल शासन लागू है.
सरकारी आवासों के आवंटन के लिए जिम्मेदार संपदा विभाग के एक अधिकारी ने बताया, ‘‘यह अपवाद वाला मामला है. मुफ्ती साहिब की पत्नी मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास आईं और परिवार का सारा सामान लेकर चली गईं.’’ महबूबा 31 जनवरी को पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करने वाली हैं और तब सरकार गठन को लेकर कोई संकेत मिल सकते हैं. पीडीपी प्रमुख ने ऐसी ही बैठक तीन फरवरी को जम्मू में बुलाई है.
दिवंगत नेता के निधन के 11 दिनों बाद उनकी पत्नी और महबूबा की मां बेगम गुलशन 18 जनवरी को जम्मू सिटी स्थित वजारत रोड पर बने बंगले में गई थीं और परिवार का सारा सामान वहां से ले आयीं. पीडीपी प्रवक्ता और पूर्व मंत्री नईम अख्तर ने बताया, ‘‘मुफ्ती साहब मुख्यमंत्री रहे नहीं, तो जन व्यवहार की सर्वश्रेष्ठ परंपरा का पालन करते हुए 18 जनवरी को उनका परिवार अपना सारा सामान उस मकान से लेकर चला गया.’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसमें कुछ भी राजनीतिक नहीं है. यह एक आम चलन है. मुफ्ती साहब ने हमेशा इसकी वकालत की थी.’’
अख्तर ने कहा, ‘‘वह मुख्यमंत्री का आधिकारिक आवास है. कोई ऐसा शख्स वहां कैसे रह सकता है जो मुख्यमंत्री न हो ?’’ राज्य सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि नियमों के मुताबिक, यदि कोई मुख्यमंत्री नहीं रह जाता है तो एक महीने तक सरकारी आवास में रह सकता है. लेकिन सईद का परिवार उनके निधन के बाद एक महीना इस मकान में नहीं ठहरा.
ठंड के मौसम (नवंबर से अप्रैल तक छह महीने) के दौरान राज्य सरकार का सारा कामकाज जम्मू से होता है और बाकी के छह महीने श्रीनगर से शासन कार्य संचालित किया जाता है. सईद के परिवार का यह कदम काफी अहमियत रखता है, क्योंकि महबूबा को राज्य के अगले मुख्यमंत्री के तौर पर देखा जा रहा है. हालांकि, सरकार गठन के मुद्दे पर उन्होंने रहस्य कायम रखा है.
जम्मू-कश्मीर की 87 सदस्यीय विधानसभा में पीडीपी के 27 और भाजपा के 25 विधायक हैं. पीडीपी ने भाजपा के साथ गठबंधन कर 10 महीने तक राज्य की सरकार भी चलाई. लेकिन सात जनवरी को सईद के निधन के बाद से राज्य में कोई मुख्यमंत्री नहीं है और आठ जनवरी से राज्यपाल शासन लागू है.
सरकारी आवासों के आवंटन के लिए जिम्मेदार संपदा विभाग के एक अधिकारी ने बताया, ‘‘यह अपवाद वाला मामला है. मुफ्ती साहिब की पत्नी मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास आईं और परिवार का सारा सामान लेकर चली गईं.’’ महबूबा 31 जनवरी को पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करने वाली हैं और तब सरकार गठन को लेकर कोई संकेत मिल सकते हैं. पीडीपी प्रमुख ने ऐसी ही बैठक तीन फरवरी को जम्मू में बुलाई है.
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