स्वच्छता में मैसूर नंबर वन, वाराणसी सबसे गंदे शहरों में शामिल |
नई दिल्ली। कर्नाटक के मैसुरु ने देश के सबसे स्वच्छ शहर का दर्जा बरकरार रखते हुए इस वर्ष भी साफ -सफाई में पहला स्थान हासिल किया है। इसके बाद चंडीगढ दूसरे , तिरूचिरापल्ली तीसरे और नई दिल्ली नगर पालिका चौथे नम्बर पर रहे है जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का निर्वाचन क्षेत्र देश के सबसे गंदे 10 शहरों में शामिल है।
वैंकेया नायडू ने जारी की स्वच्छता रैंकिंग
केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री वैंकेया नायडू की ओर से सोमवार को 75 शहरों की स्वच्छता रैंकिंग जारी की गई। इसमें कर्नाटक का मैसुरु पहले नंबर पर तथा झारखंड का धनबाद 73 वें नम्बर पर सबसे पीछे है। दो शहरों नोएडा तथा कोलकाता ने सर्वेक्षण के लिए चुने जाने के बाद इससे बाहर रहने का अनुरोध किया था। स्मार्ट सिटी की तरह वाराणसी इस बार भी पिछड गया और वह 65 वें नम्बर पर देश के सबसे दस गंदे शहरों में शामिल है।
अगले वर्ष सर्वेक्षण में 500 शहर शामिल होंगे
उन्होंने कहा कि अगले वर्ष इस सर्वेक्षण में देश के 500 शहरों को शामिल किया जायेगा और पहले नम्बर पर रहने वाले शहर को राष्ट्रीय पुरस्कार दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि इस वर्ष जिन 73 शहरों को सर्वेक्षण में शामिल किया गया है उनमें 53 शहरों की आबादी 10 लाख से अधिक है जबकि 22 राज्यों की राजधानियां हैं जिनकी आबादी घनी नहीं है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश का इलाहाबाद सबसे तेजी से स्वच्छता की ओर बढने वाला शहर है । इस बार यह 22 वें नम्बर पर रहा है जबकि पिछली बार यह 67 वें रैंक पर था।
गंगटोक राज्यों की राजधानियों में सबसे आगे
मंत्री ने बताया कि आन्ध्र प्रदेश का विशाखापत्तनम 5वें , गुजरात का सूरत छठे, राजकोट सातवें, सिक्किम की राजधानी गंगटोक आठवें , महाराष्ट्र का ङ्क्षपपरी ङ्क्षचचवाड़ नौंवे तथा नवी मुंबई दसवें स्थान पर हैं। उन्होंने मैसुरु को ट्राफी देकर तथा अन्य नौ राज्यों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। गंगटोक राज्यों की राजधानियों में सबसे आगे रहा है। राजधानी दिल्ली का दक्षिणी नगर निगम 39 वें और पूर्वी नगर निगम 52 वें नम्बर पर रहा।
पीएम मोदी ने की थी इस मिशन की शुरूआत
उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने 2 अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत मिशन की शुरूआत की थी जिसमें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती तक समूचे देश को स्वच्छ बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इस मिशन के तहत ठोस कचरा प्रबंधन, घरों तथा सामुदायिक शौचालयों के निर्माण पर मुख्य रूप से ध्यान रखा गया। उन्होंने कहा कि इस मिशन में पांच वर्षों के लिए 60 हजार करोड रूपये की राशि का प्रावधान किया गया है जिसमें से 38 हजार करोड रूपये ठोस कचरा प्रबंधन के लिए रखे गये हैं।
COMMENTS