नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने पूर्व भारतीय क्रिकेटर कीर्ति आजाद, बिशन सिंह बेदी और अन्य की याचिका को ‘अपरिपक्व’ बताकर खारिज कर दिया जिसमें डीडीसीए में कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच के लिए अदालत की निगरानी में सीबीआई या एसआईटी से जांच कराने की मांग की गई है। याचिका पर गौर करने से इंकार करते हुए न्यायमूर्ति मनमोहन ने कहा कि सीबीआई ने 23 अक्तूबर 2015 से प्रारंभिक जांच शुरू कर दी है और एजेंसी को जांच पूरी करने के लिए समय दिए जाने की जरूरत है। न्यायाधीश ने यह भी कहा कि अदालत की निगरानी या विशेष जांच टीम का गठन केवल ‘विरलतम मामलों में किया जाता है न कि महज इसलिए कि केंद्रीय मंत्री मामले से जुड़े हुए हैं।’ न्यायाधीश ने कहा, ‘अदालत एएसजी नीरज किशन कौल की बात से सहमत है कि याचिका अपरिपक्व है।’ सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सोलीसीटर जनरल नीरज किशन कौल ने अदालत से कहा कि याचिका अपरिपक्व है क्योंकि सीबीआई अक्तूबर 2015 से कथित अनियमितता की जांच कर रही है और इस प्रक्रिया में उसने अब तक 18 गवाहों से पूछताछ की है।
उन्होंने अदालत से कहा कि दिल्ली और जिला क्रिकेट एसोसिएशन और अन्य संबद्ध निकायों से दस्तावेज मांगे गए हैं जिन्होंने कुछ दस्तावेज मुहैया कराए हैं। एएसजी ने अदालत से कहा कि तीन महीने के अल्प समय में सीबीआई से जांच पूरी करने और आरोपपत्र दायर करने की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए जबकि कथित अनियमितता वर्ष 2008 से 2014 के बीच की है।
याचिकाकर्ताओं की तरफ से उपस्थित हुए वरिष्ठ वकील रामजेठमलानी ने कहा कि सीबीआई ने मामले में अभी तक प्राथमिकी भी दर्ज नहीं की है। उन्होंने दावा किया कि ऑडिट रिपोर्ट और तथ्यान्वेषी समिति की जांच के मुताबिक क्रिकेट संस्था में अनियमितता थी जिसमें वित्तीय, निविदा प्रक्रिया, टिकट और प्रसारण अधिकार आदि शामिल थे।
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