शीर्ष उपभोक्ता आयोग ने फैसला दिया है कि देश में ‘समय समय’ पर वापस आने वाले अनिवासी भारतीय भारत में घर खरीद सकते हैं। आयोग ने सुपरटेक लिमिटेड को उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में एक फ्लैट का कब्जा देने से इनकार करने पर एक एनआरआइ को करीब 64 लाख रुपए का भुगतान करने का आदेश देते हुये यह फैसला सुनाया।
न्यायमूर्ति जेएम मलिक की अध्यक्षता में राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटारा आयोग (एनसीडीआरसी) ने फर्म को दक्षिण दिल्ली निवासी रेशमा भगत और उनके बेटे तरुण भगत को 63 लाख 99 हजार 727 रुपए का भुगतान करने का निर्देश दिया। इन्होंने 2008 में बिल्डर के प्रोजेक्ट में एक फ्लैट बुक कराया था।
शिकायत में कहा गया कि फर्म को 2009 में शिकायतकर्ता को इसका कब्जा देना था और जब उसने घर नहीं बनाया तो भगत परिवार ने पैसे वापस लेने और हर्जाने के लिए उपभोक्ता आयोग से गुहार लगाई।
फर्म ने इस शिकायत का विरोध करते हुए दावा किया था कि फ्लैट एक एनआरआइ तरुण के नाम पर बुक किया गया था और यह रहने के उद्देश्य से नहीं बल्कि केवल लाभ कमाने के लिए लिया गया था और वह खुद को ‘उपभोक्ता’ होने का दावा नहीं कर सकते।
आयोग ने फर्म की दलीलें खारिज करते हुए कहा कि वह ऐसा नियम नहीं बना सकते कि हर एनआरआई भारत में संपत्ति नहीं खरीद सकता। एनआरआइ भारत में समय समय पर आते हैं।
ज्यादातर एनआरआइ को अपने बसे होने वाले देशों में लौटना होता है। हर एनआरआइ भारत में घर लेना चाहता है। वह (तरुण) एक स्वतंत्र व्यक्ति हैं और भारत में अपने नाम पर कोई भी घर खरीद सकते हैं।
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