गोरखपुर । कल जहां लोग जाने से डरते थे, चारों तरफ गंदगी पसरी थी। आज वहां गेंदा के फूलों की खुशबू वातावरण को खुशनुमा बना रही है। कहीं से नहीं लग रहा कि यह पूवोत्तर रेलवे मुख्यालय का मुख्य यांत्रिक इंजीनियर कार्यालय परिसर है। मुख्य मोटिव पावर इंजीनियर व मुख्य कारखाना इंजीनियर अजय कुमार सिंह की पर्यावरण और स्वच्छता अभियान की अनूठी पहल ने इसका कायाकल्प ही कर दिया है। साथ ही उनकी बैठक में तनिक भी लेट होने वाले इंजीनियर को बतौर जुर्माना एक पौधा भी लगाना पड़ता है।31 जुलाई 2015 को अजय कुमार सिंह ने कार्यभार संभाला। पीछे बड़ी झाडिय़ां और आगे गंदगी। कार्यालय की दशा देख उनका मन खिन्न हो उठा। इसके बाद उन्होंने जो संकल्प लिया, वह सबके सामने है। प्रत्येक शुक्रवार को कार्यालय का कार्य पूरा करने के बाद श्रमदान करने लगे। शाम पांच बजे के आसपास खुद हाथ में फावड़ा और झाड़ू लेकर परिसर में पहुंच जाते। पहली बार तो मातहत इंजीनियरों को कुछ समझ नहीं आया। लेकिन, जब मुख्य कारखाना इंजीनियर का इरादा उनकी समझ में आया तो उनके हाथ में भी झाड़ू और फावड़ा आ गए। 'स्वच्छ भारत का अभियान साकार रूप लेने लगा। यह क्रम प्रत्येक शुक्रवार को चलने लगा। इंजीनियरों की मेहनत रंग लाने लगी। नए साल में परिसर की तस्वीर ही बदल गई। अब तो कार्यालय की दीवारों पर पर्यावरण से संबंधित प्रेरक वाक्य भी लोगों को अपनी तरफ बरबर आकर्षित करने लगे हैं। जबलपुर से मंडल रेल प्रबंधक पद से स्थानांतरित होकर गोरखपुर आए अजय कुमार सिंह ने यहां के यांत्रिक इंजीनियर और कर्मचारियों की मनोदशा ही बदल दी है। छह माह पहले तक जो सिर्फ अपनी ड्यूटी तक ही सीमित थे आज वे हर शुक्रवार को शाम दो घंटा श्रमदान करते हैं। रमेश पांडेय, दुर्गेश मिश्रा और अजय कुमार यादव आदि इंजीनियर्स कहते हैं, अब तो सफाई उनकी दिनचर्या में शामिल हो गया है। मुख्य कारखाना इंजीनियर ने लोगों को एक नई राह दिखाई है। अन्य लोगों के लिए भी एक उदाहरण प्रस्तुत किया है।
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