CBI जांच में खुलासा, यादव सिंह ने छह साल में लिया 100 करोड़ कमीशन |
भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई जांच का सामना कर रहे चीफ इंजीनियर यादव सिंह को 2008-14 के बीच कथित तौर पर 100 करोड़ रुपए ‘ कमीशन’’ के रूप में मिले थे। सिंह को सीबीआई ने 3 फरवरी को गिरफ्तार किया था। इस मामले में प्रोजेक्ट इंजीनियर रामेंद्र को भी गिरफ्तार किया गया था जो यादव सिंह को रिपोर्ट करता था । सूत्रों ने बताया कि शुरुआती जांच में पता चला है कि 2,500 करोड़ रूपये से अधिक की योजनाओं को सिंह ने अपने कार्यकाल के दौरान मंजूरी दी थी जिनमें उसने करीब पांच प्रतिशत कमीशन लिया। सीबीआई ने अपने आरोपपत्र में कहा है कि नवंबर 2014 के अंत में सिंह ने आठ दिन के भीतर 959 करोड़ रूपये की कीमत के 1,280 अनुबंध मुचलकों पर कथित रूप से हस्ताक्षर किए थे । सूत्रों ने कहा कि ये सिंह के साथ काम कर रहे कुछ अधिकारियों सहित नोएडा स्टाफ के बयानों पर आधारित अस्थायी आंकड़े हैं । सूत्रों ने कहा कि कथित रिश्वत का वास्तविक आंकड़ा काफी बढ़ सकता है । उन्होंने दावा किया कि अधिकारियों ने जांच एजेंसियों,आयकर और सीबीआई को बताया कि सिंह ने कमीशन कथित तौर पर व्यक्तिगत रूप से लिया था जो अन्य रिश्वत राशि से अलग होती थी। ये आरोप नोएडा के स्टॉफ सदस्यों से पूछताछ में सामने आए हैं जिन्हें वेरिफाई किया जा रहा है। एजेंसी नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस वे के चीफ इंजीनियर के रूप में सिंह के कार्यकाल के दौरान दिए गए प्रत्येक ठेके की पडताल कर रही है। सिंह को सीबीआई के दो मामलों का सामना करना पड़ रहा है। एक मामला ठेके देने में भ्रष्टाचार से जुड़ा है और दूसरा मामला उसके तथा उसके परिवार के नाम पर जुटाई गई संपत्तियों से संबंधित है जो उसकी आय के ज्ञात स्रोत से अधिक है । रामेंद्र ने इस बारे में खुलासा किया कि नोएडा में अधिकारियों के बीच रिश्वत कथित तौर पर किस तरह ली जाती थी और किस तरह बांटी जाती थी। सूत्रों के अनुसार उसने एक डायरी बनाई थी। जिसमें वह कमीशन का ब्यौरा और अधिकारियों में इसके वितरण का रिकॉर्ड बड़े ध्यान से रखता था। उन्होंने कहा कि अब तक की जांच में यह सामने आया है कि ठेका देने में नियम-शर्तों का कथित तौर पर घोर उल्लंघन किया गया। सूत्रों ने यह भी कहा कि एक मामले में एक ऐसी कंपनी के पक्ष में ठेके पर हस्ताक्षर किए गए जो पहले ही 60 प्रतिशत काम पूरा कर चुकी थी । सीबीआई ने आरोप लगाया है, ‘‘दो कंपनियों को कथित तौर पर 21.90 करोड़ रूपये और 25.50 करोड़ रूपये के काम के लिए ठेके दिए गए । बाद में, लगभग 34.80 करोड़ रूपये के काम का एक हिस्सा भी कथित तौर पर किसी प्रक्रिया के बिना राजनगर, गाजियाबाद आधारित एक फर्म को आवंटित कर दिया गया ।’’
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