न्यूयॉर्क। दुनिया की सबसे बड़ी संस्था संयुक्त राष्ट्र के 70 साल के इतिहास में पहली बार महासचिव पद पर किसी महिला की नियुक्ति हो सकती है। वर्तमान महासचिव बान की मून का कार्यकाल दिसंबर में खत्म हो रहा है। न्यूजीलैंड की पूर्व प्रधानमंत्री हेलेन क्लार्क ने कई माह से जारी अटकलों पर विराम लगाते हुए घोषणा की है कि वे पद के लिए दावेदारी पेश करेंगी। अभी तक आधिकारिक तौर पर जो उम्मीदवार सामने आए हैं, उनमें चार महिलाएं हैं। संयुक्त राष्ट्र में पहली महिला महासचिव को लेकर दबाव बढ़ता जा रहा है। इसके 193 सदस्यों में से अधिकांश का मानना है कि मौजूदा हालात को महिला बेहतर तरीके से काबू कर पाएगी। पूर्वी यूरोप से महिला उम्मीदवार को महासचिव बनाने की बात भी चल रही है, जिसे अब तक प्रतिनिधित्व हासिल नहीं हुआ है।
70 साल में पहली बार महिला बन सकती है यूएन महासचिव |
ईरीना बोकोवा
बुल्गारिया की राजनेता और यूनेस्को की पहली महिला हेड। पूर्वी यूरोप की ओर से उम्मीदवार। अंतरराष्ट्रीय मामलों का लंबा अनुभव। यूनेस्को में रहते लिंग भेद, शिक्षा और आतंकमें फंडिंग के खिलाफ प्रभावी काम किया।
वेंस्ना पुसिक
क्रोएशिया की पूर्व विदेश मंत्री और वर्तमान में संसद की डिप्टी स्पीकर। देश की पहली उप प्रधानमंत्री भी रहीं। अपने खुले विचारों के लिए लोगों में ख्यात। लिंग भेद और एलजीबीटी राइट्स के खिलाफ भी आवाज उठा चुकी हैं।
नतालिया घरमैन
मोल्दोवा की पूर्व विदेश मंत्री। पिता मोल्दोवा के पहले राष्ट्रपति थे। देश की कार्यकारी प्रधानमंत्री के रूप में सेवा दे चुकी हैं। स्वीडन, नॉर्वे और फीनलैंड की राजदूत रहीं। अंतरराष्ट्रीय मामलों की अच्छी जानकार।
हेलेन क्लार्क
न्यूजीलैंड की पूर्व प्रधानमंत्री। फिलहाल यूएन के विकास कार्यक्रम की प्रमुख। अपने अनुभव के आधार पर बान की मून की जगह लेने का दावा पेश कर रही हैं। इन्हें पूर्वी यूरोपियन ग्रुप की ओर उम्मीदवार बनाया गया है।
रूस-अमरीका को मनाना होगा
यूं तो पहली महिला महासचिव का रास्ता साफ बताया जा रहा है, लेकिन सबसे बड़ी चुनौती संयुक्तक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के दो स्थायी सदस्यों- रूस और अमरीका (जिन्हें वीटो पॉवर भी है) को मनाना है। पूर्वी यूरोपियन महिला पर दोनों राजी हो पाएंगे, कहना मुश्किल है।
ऐसे होता है चुनाव
यूएन महासचिव के चुनाव पर कई बार सवाल उठे हैं। इस बार दावा किया जा रहा है कि पहली बार सभी सदस्य देशों को चुनाव प्रक्रिया में शामिल किया गया है। इसके तहत सभी 193 सदस्य देशों को पत्र भेजे जाते हैं। प्रत्याशियों के नाम सामने आने के बाद सुरक्षा परिषद की सिफारिश पर महासभा चुनाव करती है। अगले महासचिव का कार्यकाल जनवरी 2017 में शुरू होगा जो 5 साल का होगा। अगर सदस्य देश चाहें तो महासचिव का कार्यकाल पांच साल और बढ़ाया जा सकता है।
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