नई दिल्ली: सूखे की खबरों के बीच मौसम विभाग ने एक राहत भरी सूचना दी है। मौसम विभाग के मुताबिक, इस साल मॉनसून सामान्य से अच्छा रहेगा। यानी इस साल बारिश सामान्य से ज्यादा होगी। इस साल मॉनसून 104 से 110 प्रतिशत तक रहने की बात कही जा रही है। मराठवाड़ा, विदर्भ और बुंदेलखंड सहित देश में कई कई इलाके ऐसे हैं, जहां सूखे के हालात हैं। इस खबर से उम्मीद बंधी है कि वहां के हालात भी सुधरेंगे।
इस साल खूब बरसेंगे बादल
इस वर्ष के लिए मानसून पूर्वानुमानों की घोषणा करते हुए भारत मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक लक्षमण सिंह राठौड़ ने कहा, 'मानसून दीर्घावधिक औसत अवधि (एलपीए) का 106 प्रतिशत रहेगा। 94 प्रतिशत संभावना है कि इस साल मानसून सामान्य से बेहतर रहेगा। इस साल पूरे देश में मानसून का कमोबेश समान वितरण होगा। लेकिन पूर्वोत्तर भारत और दक्षिण-पूर्वी भारत, विशेष रूप से तमिलनाडु में, सामान्य से कुछ कम वर्षा हो सकती है।' राठौड़ ने कहा कि सूखा प्रभावित मराठवाड़ा में भी 'अच्छी बारिश' होने की संभावना है।
90 प्रतिशत से कम एलपीए को 'बहुत कम' मानसून माना जाता है और 90-96 प्रतिशत एलपीए को 'सामान्य से कम' मानसून माना जाता है। 'सामान्य' मानसून एलपीए का 96-104 प्रतिशत होता है। 'सामान्य से बेहतर' मानसून एलपीए के 104-110 प्रतिशत के बीच होता है और 110 प्रतिशत से ज्यादा एलपीए को 'बहुत ज्यादा' माना जाता है।
मौसम विभाग ने दी अच्छी खबर, इस साल सामान्य से ज्यादा बारिश |
इस वर्ष कमजोर हुआ अल नीनो...
इससे पहले कृषि सचिव शोभना के पटनायक ने वर्ष 2016-17 के लिए खरीफ अभियान को शुरू करने के लिए एक राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा था कि अल नीनो (समुद्री सतह के तापमान में बदलाव की घटना) के प्रभाव में गिरावट आ रही है। ऐसी उम्मीद है कि इसके बाद ‘ला नीना’ की स्थिति आएगी और जिससे इस वर्ष मॉनसून बेहतर हो सकता है। कमजोर मॉनसून के कारण भारत का खाद्यान्न उत्पाइन फसल वर्ष 2014-15 (जुलाई से जून) में घटकर 25 करोड़ 20.2 लाख टन रह गया जो उसके पिछले वर्ष रिकॉर्ड 26 करोड़ 50.4 लाख टन के स्तर पर था।
दो वर्ष से लगातार कमजोर है मॉनसून
देश की जीडीपी में 15 प्रतिशत का योगदान देने वाली और देश की करीब 60 प्रतिशत जनता को रोजगार देने वाली कृषि मुख्य रूप से मानसून पर निर्भर है और कृषि भूमि का महज 40 प्रतिशत हिस्से में ही सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है। खराब मानसून के कारण 2015-2016 फसल वर्ष (जुलाई से जून), को 10 राज्यों में सूखा घोषित किया गया और केंद्र ने किसानों की मदद के लिए करीब 10,000 करोड़ रुपये की सहायता राशि दी है।
फरवरी में आर्थिक सर्वे में भी कहा गया था कि पिछले वर्ष जो प्रतिकूल मौसम पूरे देश में था वह संभवत: इस वर्ष नहीं होगा। हालांकि इसमें सुझाया गया है कि सरकार को फिर भी दलहन जैसी फसलों के लिए पहले से न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा करने के अलावा किसी भी विषम स्थिति से निपटने के लिए आपदा योजना के साथ तैयार रहना चाहिये।
कम बारिश के बावजूद फसल उत्पादन में मामूली वृद्धि
देश में 14 प्रतिशत कम बरसात होने के बावजूद चालू फसल वर्ष 2015-16 में उत्पादन मामूली बढ़त के साथ 25 करोड़ 31.6 लाख टन होने का अनुमान है। दो लगातार वर्षों में कमजोर मॉनसून रहने के कारण देश में कृषि संकट और जल की कमी का संकट उत्पन्न हुआ है। कृषि सचिव ने राज्य सरकारों से कहा है कि बीज, उर्वरक और अन्य कृषि लागतों की पर्याप्त उपलब्धता को सुनिश्चित करते हुए धान और दलहन जैसी खरीफ (गर्मी) की फसलों की बुवाई की पहले से तैयारी कर लें।
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