सीतापुर. सत्ता से बैर लेने का नतीजा क्या होता है, इसकी जीती जागती मिसाल सीतापुर के बिसवां से विधायक रामपाल यादव हैं। कभी जिनके नाम की तूती पूरे सीतापुर जिले में बोलती थी, आज वे सिस्टम के आगे बेबस और लाचार नजर आ रहे हैं। उनकी आंखों के सामने उनके सपनों के आशियाने पर सरकार का बुलडोजर चल रहा था और वे लाचार होकर तमाशा देखने से ज्यादा कुछ नहीं कर सके।
सपाट मैदान में तब्दील हुआ स्पर्श होटल
स्पर्श होटल, जो सीतापुर के लिए शान का प्रतीक माना जाने लगा था। उस पर जिला प्रशासन ने बुधवार को आखिरी कील भी ठोंक दी। जिस जगह पर कभी लग्जरी गाड़ियां और वीआईपी लोगों की भीड़ लगी रहती थी, आज वहां पर सिर्फ बुलडोजर का शोर और पुलिस का दस्ता नजर आ रहा है। स्पर्श होटल सपाट मैदान में बदल गया है और उसकी शान-ओ-शौकत के किस्से सिर्फ आसपास रहने वालों के जहन में रह गए हैं।
पंचायत चुनाव से शुरू हुए रामपाल के बुरे दिन
आखिर सोचने वाली बात है कि जिस होटल पर कभी बड़े से बड़ा अफसर नजरें तिरछी करके नहीं देख सकता था, वह अचानक अवैध कैसे हो गया और उस पर एकाएक कार्रवाई करके ढहा क्यों दिया गया। यदि अतीत में जाएं रामपाल के बुरे दिन पंचायत चुनाव के दौरान ही शुरू हो गए थे। वे अपने बेटे को जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज कराना चाहते थे।
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