बरेली। स्पेन से आए टैल्गो कोच से सुसज्जित ट्रेन का पहला ट्रायल आज उत्तर प्रदेश के बरेली से सफलतापूर्वक किए जाने के साथ भारतीय रेल के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया। देशी इंजन के पीछे यह विदेशी कोच कुछ अटपटा जरूर लगा, लेकिन पूर्वोत्तर रेलवे की बरेली में इज्जतनगर कार्यशाला के इंजन को टैल्गो कोच के संचालन का गौरव हासिल हुआ। स्पेन की टैल्गो कंपनी में निर्मित नौ कोच से सजी रेलगाडी पूर्वान्ह नौ बजकर चार मिनट पर बरेली जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर दो से मुरादाबाद के लिए रवाना हुई। इस ट्रेन की एक झलक पाने के लिए बरेली जंक्शन स्टेशन पर बडी तादाद में लोग मौजूद थे। ट्रेन दस बजकर 20 मिनट पर बेरोकटोक मुरादाबाद पहुंची।
इस बीच, पूर्वोत्तर रेलवे के इज्जतनगर मंडल के जनसम्पर्क अधिकारी राजेन्द्र सिंह बताया कि देश की सबसे तेज रफ्तार इस ट्रेन का ट्रायल टैल्गो कंपनी और रेलवे अफसरों की मौजूदगी में सफलतापूर्वक किया गया। इसके पहले, पूर्वोत्तर रेलवे के महाप्रबंधक राजीव मिश्र ने बरेली जंक्शन पर टैल्गो रवाना करने से पूर्व कहा कि इस सुपर लग्जरी ट्रेन में एल्युमिनियम के कोच लगे है। इनका वजन भारतीय कोच से काफी कम है। हर कोच में दो बोगियां हैं। दो कोच के बीच महज चार चक्के हैं। मिश्र के अनुसार हाइड्रोलिक प्रेशर से चक्कों में डिस्क ब्रेक लगा हुआ है। इससे ट्रेन चंद सेकेंड में बिना झटके रुकती है और हादसे में कोच के ऊपर कोच नहीं चढ़ते। उन्होंने बताया कि आरामदायक कुर्सियों के एक्जीक्यूटिव क्लास में ऑफिस की तरह बैठकर काम किया जा सकता है। डाइनिंग कार में गैस की जगह माइक्रोवेव का इस्तेमाल किया गया है।
गौरतलब है कि पिछले हफ्ते की शुरुआत में टैल्गो कंपनी में निर्मित कोचों की पहली रैक यहां पूर्वोत्तर रेलवे की इज्जतनगर कार्यशाला में लाई गयी थी। इसका सेंसर ट्रायल शुक्रवार को सफलतापूर्वक किया गया था। मुरादाबाद-बरेली रेल खंड में आज हुए परीक्षण के बाद इस ट्रेन का अब मथुरा-पलवल खंड पर ट्रायल किया जायेगा। सूत्रों के अनुसार इन कोचों के लिए कुछ महीने पहले रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी टैल्गो से डील फाइनल करने के लिए स्पेन गये थे। स्पेन के बार्सिलोना में टैल्गो द्वारा इस ट्रेन का इंजन और 16 कोचों का निर्माण किया गया है। इनमें से नौ कोच यहां पहुंच चुके हैं। टैल्गो कोच बडे बडे ट्रकों में मुंबई से इज्जतनगर लाया गया था जहां स्थित कार्यशाला में रि एसेम्बल किया गया था। टैल्गो द्वारा फिलहाल भारतीय रेल को यह कोच उपलब्ध कराये गये हैं। सूत्रों ने बताया कि तकनीकी विशेषज्ञ और अधिकारी इस समय फिलहाल मौजूदा रेल पथ को ट्रायल के लिए उन्नत करने की तैयारी में जुटे हैं।
सूत्रों ने बताया कि देश की सबसे तेज रफ्तार वाली दस ट्रेन का ट्रायल अनुसन्धान अभिकल्प और मानक संगठन (आरडीएसओ) के विशेषज्ञों की देखरेख में तीन चरणों में हो रहा है। यह विशेषज्ञ सम्बन्धित संबंधित ट्रैक पर ट्रेन के प्रदर्शन की समीक्षा करेंगे। पहले चरण में आज हुए परीक्षण की संतोषजनक प्रदर्शन रिपोर्ट मिलने के बाद दूसरा ट्रायल मथुरा-पलवल रेलखण्ड पर अगले महीने किया जायेगा। रेलवे सूत्रों ने बताया कि मथुरा-पलवल रेलखण्ड पर 180 किमी प्रति घंटे की रफ्तार पर ट्रायल होगा। टैल्गो द्वारा भारतीय रेल पथ पर गति क्षमता 198 किलोमीटर प्रति घंटा प्रमाणित की गयी है। टैल्गो ने विशेष तौर पर हल्के वजन वाले कोच तैयार किये हैं। यह कोच एसी चेयरकार से सुसज्जित हैं और इनमें स्लीपर कोच नहीं हैं। सफल ट्रायलों के बाद यह ट्रेन करीब 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेगी।
क्षमता
222 यात्रियों के बैठने की व्यवस्था, प्रथम श्रेणी में 24 सीट और द्वितीय श्रेणी 36 सीट
सुरक्षा
दुर्घटना की स्थिति में एक दूसरे पर नहीं चढ़ेंगे कोच, डायमंड कटर से चंद सेकेंड में कटेगा
तकनीक
हाईस्पीड पर भी कंपन नहीं, कप में रखा पानी नहीं हिलेगा- इसका पूरा तकनीकी सिस्टम छतों में लगाया गया है।
एल्युमुनियम के चलते कम वजन से कम घर्षण पटरियों की उम्र बढ़ा देगी।
लग्जरी
कुर्सीयान में म्यूजिकल सिस्टम, हर कोच टेलीविजन स्क्रीन, 180 डिग्री घूमने वाली कुर्सियां, पांच सितारा सुविधाओं वाला कैफे भी होगा
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