उत्तर प्रदेश सरकार ने मथुरा में पिछले दिनों हुए जवाहरबाग काण्ड मामले में जिले के जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक का तबादला कर दिया है तथा केन्द्र सरकार को घटना के बारे में रिपोर्ट भेज दी है। मुख्यमंत्री ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से किए गए ट्वीट में कहा ‘निर्देश- मथुरा के जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक का तबादला कर दिया गया है। नए अधिकारियों की तैनाती जल्द होगी।’ इस बीच, गृह विभाग के बयान के मुताबिक जालौन के पुलिस अधीक्षक बबलू कुमार को मथुरा का नया वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बनाया गया है। वह राकेश सिंह का स्थान लेंगे जिन्हें पुलिस महानिदेशक मुख्यालय से सम्बद्ध कर दिया गया है। मथुरा के जिलाधिकारी राजेश कुमार के स्थान पर फिलहाल कोई तैनाती नहीं हुई है।
इस बीच, प्रदेश सरकार ने मथुरा काण्ड के बारे में गृह मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट भेज दी गयी है जिसमें संभवत: स्थिति का आंकलन करने में स्थानीय प्रशासन की विफलता को इस काण्ड के लिए जिम्मेदार बताया गया है। रिपोर्ट के अनुसार ‘अदालत के आदेश पर जब प्रशासन की तरफ से कार्यवाही की गई तो जवाहरबाग पर काबिज ‘आजाद भारत विधिक वैचारिक क्रान्ति सत्याग्रही’ पूरी तरह से हथियार बंद थे और उनकी तादाद पुलिस कर्मियों के मुकाबले बहुत ज्यादा थी। कथित सत्याग्रहियों के पास हथगोले और स्वचालित हथियार भी थे जिनका प्रयोग पुलिस के साथ मुकाबले में उन्होंने किया।’
गृह विभाग के सूत्रों के अनुसार, ‘रिपोर्ट में सत्याग्रहियों को राजनीतिक संरक्षण का कोई जिक्र नहीं है, जैसा कि विपक्षी दल आरोप लगा रहे हैं।’ भाजपा का आरोप है कि वर्ष 2014 से 280 एकड में फैले जवाहरबाग पर काबिज कथित संगठन को मुख्यमंत्री अखिलेश के चाचा और सरकार के वरिष्ठ मंत्री शिवपाल यादव का संरक्षण प्राप्त था, जिसका शिवपाल ने खंडन किया है। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का अनुयायी होने का दावा करने वाले संगठन के पास जिस तरह के और जितनी बड़ी तादाद में हथियार मिले हैं उससे उसका नक्सलियों से संबंध रहे होने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।
पुलिस महानिरीक्षक (कानून व्यवस्था) हरेराम शर्मा ने आज संवाद्दाताओं को बताया कि संघर्ष में मारे गए लोगों में से 19 के शवों का पोस्टमार्टम हो चुका है, जबकि 18 शवों का अन्तिम संस्कार भी कर दिया गया है। सिलेंडर विस्फोट में झुलसकर मरने वाले 11 लोगों में से 10 की शिनाख्त कर ली गई है। मालूम हो कि गत गुरुवार (2 जून) को मथुरा के जवाहरबाग में अवैध कब्जा हटाने गए पुलिस तथा प्रशासनिक दल पर कब्जेदारों के हमले में दो पुलिस अफसरों समेत करीब 30 लोगों की मौत के मामले में अखिलेश सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों ने मोर्चा खोल रखा है।
जवाहरबाग पर अवैध कब्जा करने वाले ‘आजाद भारत विधिक वैचारिक क्रान्ति सत्याग्रही’ से सम्बद्ध तीन हजार लोगों को हटाने की कोशिश के दौरान पुलिस अधीक्षक (नगर) मुकुल द्विवेदी और फरह के थानाध्यक्ष संतोष यादव शहीद हो गए थे। वहीं, इस संघर्ष के दौरान संगठन के सरगना रामवृक्ष यादव की भी मृत्यु हो गयी थी। ‘आजाद भारत विधिक वैचारिक क्रान्ति सत्याग्रही’ से सम्बद्ध तीन हजार लोगों के खिलाफ अब तक 45 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। अलीगढ़ के मण्डलायुक्त चंद्रकांत ने प्रदेश सरकार के लिए आलोचना और गुस्से का सबब बने इस समूचे मामले की जांच शुरू कर दी है।
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने जवाहरबाग काण्ड को प्रदेश की ध्वस्त कानून-व्यवस्था का नतीजा बताते हुए राज्य सरकार से कहा था कि अगर वह चाहे तो केन्द्र को इस मामले की सीबीआई जांच कराने से कोई गुरेज नहीं होगा।
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