बिहार की राजनीति में जीतनराम मांझी को लेकर एक बार फिर चर्चा शुरू हो गई है. पूर्व सीएम मांझी का रुख नीतीश कुमार के लिए फिर से बदलने लगा है. हाल ही में लालू प्रसाद यादव की इफ्तार पार्टी में दोनों नेता एक साथ बैठे नजर आए. दोनों जिस तरीके से मिले और आपस में बातचीत कर रहे थे, इससे ये कयास लगाया जा रहा है कि मांझी जेडीयू में वापसी कर सकते हैं.
मांझी ने यहां तक कहा कि वह नीतीश या लालू के साथ उनका कभी कोई मतभेद नहीं रहा. मांझी ने कहा कि नीतीश और लालू उनके भाइयों की तरह ही हैं. मांझी ने कहा, 'हम तीनों भाई की तरह हैं और अब तीन अलग-अलग पार्टियों में हैं. जब तीनों भाई घर आते है, तो वे साथ खाते हैं. निजी संबंध राजनीतिक संबंध से अलग है.'
दुश्मनी के मूड में नहीं नीतीश
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी मांझी के साथ दुश्मनी को ज्यादा आगे ले जाने के मूड में नहीं हैं. इफ्तार पार्टी में मांझी से मिलने पर नीतीश ने कहा कि मांझी से मिलने में कोई बुराई नहीं है. उन्होंने कहा, 'रमजान के दौरान सांप्रदायिक सद्भाव का माहौल है. मांझी के आने से समस्या क्या है? यह एक सामाजिक आयोजन है.'
लालू ने भी मांझी को बताया भाई
आरजेडी प्रमुख लालू यादव भी मांझी को अपने पाले में लाना चाहते हैं. बिहार की राजनीति में एक बड़े दलित चेहरे को वो महागठबंधन के दायरे में चाहते हैं. उन्होंने कहा कि मांझी उनके पुराने भाई की तरह हैं.
लेकिन रविवार को लालू ने यह कहकर सबको चौंका दिया कि मोदी मंत्रिमंडल में पासवान की जगह मांझी को मंत्री बनाया जाना चाहिए. पासवान बूढे हो गए हैं.
मांझी छोड़ सकते हैं NDA
सूत्रों की मानें तो मोदी कैबिनेट में जगह ना मिलती देख मांझी एनडीए का दामन छोड़ सकते हैं. वहीं बीजेपी को इससे खास फर्क पड़ता नहीं दिख रहा. जेडीयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि अगर वो जेडीयू में शामिल होने की बात करते हैं, तो उसके बाद इस पर विचार किया जाएगा.
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