बिहार में शराबबंदी को लेकर कानून को और सख्त बनाने के लिए शुक्रवार से शुरू हो रहे विधानसभा के मानसून सत्र में संशोधन बिल लाने जा रही है. बीजेपी मद्य निषेद्य और उत्पाद विभाग के इस बिल का विरोध करेगी. इस नए बिल के पास हो जाने पर बिहार में शराबबंदी को लेकर कानून और कड़े हो जाएंगे. इस स्थिति में बिहार में शराब पीना, बेचना, रखना और बनाने पर कड़ा प्रतिबंध लगेगा. हालांकि बिहार में अप्रैल से लागू शराबबंदी का कानून पहले से ही काफी सख्त था लेकिन उसे और सख्त किया जा रहा है.
कानून को और सख्त बनाने की तैयारी
शराबबंदी को लेकर प्रस्तावित नए कानून में यह प्रावधान है कि अगर शराब को लेकर किसी गांव में पुलिस ने छापेमारी की और उसका गांववालों ने विरोध किया तो उस स्थिति में पूरे गांव पर सामूहिक रूप से मुकदमा चलाया जाएगा. किसी गांव में अगर शराब बन रही है तो इसके लिए भी पूरे गांव को जिम्मेवार मानते हुए कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी.
बिहार में दूसरे राज्यों से शराब की तस्करी जारी
दरअसल बिहार में अप्रैल माह से शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है. इसके बावजूद पड़ोसी राज्यों और नेपाल से बिहार में शराब का आना बदस्तूर जारी है. पुलिस और उत्पाद विभाग मिलकर लगाताकर छापेमारी कर शराब की बड़ी-बड़ी खेप को पकड़ भी रही है, फिर भी शराब की तस्करी रुकने का नाम ही नहीं ले रही. बिहार में सबसे ज्यादा शराब की तस्करी झारखंड से हो रही है. यही कारण है कि सरकार ने कानून को और सख्त करने का फैसला लिया ताकि लोगों में भय पैदा हो सके.
जागरुकता अभियान पर सरकार का फोकस
नए काननू को लेकर अफवाहों का बाजार भी गर्म है. बीजेपी ने विधानसभा सत्र में शराबबंदी को लेकर आने वाले नए कानून का विरोध करेगी. विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार ने कहा कि नया कानून मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के तानाशाही रवैया को प्रतिलक्षित करता है. उन्होंने कहा कि नए कानून के पास हो जाने से उसका दुरुपयोग होगा ना कि उससे शराब पर रोक लगेगी. उन्होंने कहा कि कानून बनाने से शराबबंदी अभियान को सफल नहीं बनाया जा सकता बल्कि इसके लिए जागरुकता फैलाने की जरूरत है, जहां बीजेपी नए बिल का विरोध कर रही है वहीं सरकार में आरजेडी इसके लिए नीतीश कुमार को धन्यवाद तो देती है लेकिन आरजेडी के विधायक भाई वीरेन्द्र का यह भी कहना है कि शराबबंदी लागू होने के बाद भी कुछ रसूखदार और अफसर हैं जो शराब का सेवन कर रहे हैं. सरकार इनको चिन्हित कर कार्रवाई करें.
अब तक 9 हजार से ज्यादा गिरफ्तारियां
बिहार में अप्रैल माह से शराबबंदी लागू होने के बाद से जो कार्रवाई हुई है उसके आंकड़े काफी चौंकाने वाले हैं. 26 जुलाई तक प्राप्त आंकड़ों के अनुसार पुलिस और उत्पाद विभाग ने संयुक्त रूप से कुल 63107 छापेमारियां की. इस छापेमारी में 8941 मामले दर्ज हुए, 9028 व्यक्ति जेल की सलाखों के पीछे गए और इनमें से 3200 लोगों को अभी तक जमानत मिली है. इस छापेमारी में 75972 लीटर अवैध देशी शराब और 68938 लीटर विदेशी शराब जब्त किए गए.
विधानसभा में पेश होने वाले नए नियमों के कुछ प्रमुख अंश:
1. अगर पत्नी शिकायत करती है कि पति शराब पीकर उसे मारता है, भले ही वो उस समय शराब नहीं पी रखी हो फिर भी पति को तीन महीने तक नशामुक्ति केन्द्र पर रहना होगा और इस दौरान उन्हें कोई छुट्टी नहीं मिलेगी.
2. अगर किसी के घर में शराब की बोतल मिली तो परिवार के सभी वयस्क को इसका जिम्मेवार माना जाएगा.
3. इस जुर्म में न सिर्फ उन सबों को जेल भेजा जाएगा बल्कि इसके लिए 10 साल की सजा का भी प्रावधान हैं. आरोपी परिवार वालों को ऐसी परिस्थिति में न्यायालय में खुद को स्वंय निर्दोष साबित करना होगा.
4. नए नियमों में शराब पीते हुए पकड़े जाने या फिर शराब की गंध आने तक की स्थिति में जमानत नहीं मिलेगा.
5. नए नियमों में पुलिस पर भी सामत आने वाली है. शराबबंदी अभियान को असफल करने में जहां कहीं भी अगर पुलिस वालों की संलिप्तता पाई गई तो उन्हें भी बख्शा नहीं जाएगा.
6. पुलिस वालों को इसमें तीन साल तक की सजा हो सकती है.
7. पुलिस वालों की संलिप्तता पाए जाने पर दस साल तक किसी भी थाना में पोस्टिंग नहीं.
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