जमीन अधिग्रहण बिल के मुद्दे पर किसानों को साथ लेकर सरकार को बैकफुट पर लाने वाले राहुल गांधी अब आदिवासी आंदोलन की तैयारी में हैं. सूत्रों के मुताबिक राहुल ने एक रोडमेप तैयार किया है, जिसके तहत आदिवासी बहुल सात राज्यों में FRA (फॉरेस्ट राइट कानून) में बीजेपी की राज्य और केंद्र सरकार द्वारा बरती जा रही जा रही हीला हवाली को राहुल मुद्दा बनाने को तैयार हैं.
7 राज्यों में चलेगा राहुल का अभियान
आदिवासी बहुल राज्यों में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़, झारखंड, और महाराष्ट्र वो राज्य हैं, जिनको राहुल ने चुना है. पीसीसी प्रेजिडेंट से इस मामले में रिपोर्ट मांगी गई है. साथ ही इन राज्यों में काम करने वाले NGO से भी राहुल रिपोर्ट ले रहे हैं. जिसके बाद आदिवासियों की जमीन पर कथित तौर पर हो रही ज्यादती का मुद्दा तैयार किया जाएगा. साथ ही राज्य के प्रमुखों से भी इस बावत रिपोर्ट मांगी जा रही है.
अगस्त के पहले हफ्ते से शुरुआत
अगस्त के पहले हफ्ते से कांग्रेस उपाध्यक्ष इसकी शुरुआत आंध्र प्रदेश से करेंगे. हर महीने 2 राज्यों में कन्वेंशन किए जाएंगे और आदिवासियों को मोदी सरकार के खिलाफ लामबंद किया जाएगा. 7 राज्यों में कन्वेंशन करने के बाद आदिवासियों की बड़ी रैली करके मोदी सरकार को घेरने की तैयारी है. 7 राज्यों में कन्वेंशन करने के बाद एक बड़ी रैली करने की तैयारी है, ठीक वैसे ही जैसे भूमि अधिग्रहण बिल पर किया गया था.
मोदी अमीरों के, राहुल गरीबों के
कांग्रेस की कोशिश है कि मोदी सरकार को अमीरों की खैर ख्वाह बताया जाए और राहुल को किसानों, गरीबों और आदिवासियों के मसीहे के तौर पर पेश किया जाए. जमीन अधिग्रहण मुद्दे पर मोदी सरकार का पीछे हटना कांग्रेस को ताकत दे रहा है कि वो किसानों के बाद आदिवासियों की लड़ाई लड़ते दिखें और सूट-बूट की सरकार का जुमला मोदी सरकार पर चस्पा कर सके.
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