पाकिस्तान अपने पड़ोसी देशों का कितना ख्याल रखता है इसे समझने के लिए सिर्फ एक बानगी काफी है। पड़ोसी मुल्क अफगानिस्तान में अनाज की भयंकर किल्लत है। ऐसे में अफगानिस्तान को दो लाख टन गेहूं भारत देने को तैयार है। लेकिन पाकिस्तान इस गेहूं को अपनी जमीन से जाने देने को तैयार नहीं है। भारत ने पाकिस्तान से मानवता के आधार पर इस गेहूं को अफगानिस्तान भेजने का रास्ता देने का अनुरोध किया। लेकिन पाक राजी नहीं हुआ है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के बीच द्विपक्षीय बातचीत में गेहूं को किसी दूसरे रास्ते से काबुल पहुंचाने पर चर्चा हुई है। दूसरे रास्ते से गेहूं भेजने में भारत के सामने कई समस्याएं हैं। मध्य या उत्तर भारत से गेहूं को पहले पश्चिमी समुद्र तट के किसी बंदरगाह तक पहुंचाना होगा।
वहां से उसे ईरान भेजना होगा। ईरान से दुरुह सड़क मार्ग द्वारा गेहूं को अफगानिस्तान पहुंचाना होगा। इसमें काफी खर्च आएगा। लेकिन अगर पाकिस्तान बाघा बार्डर से इसे ले जाने की इजाजत दे तो बहुत आसानी से और बहुत कम खर्च पर गेहूं सीधे अफगानिस्तान पहुंचाया जा सकता है। विदेश सचिव एस जयशंकर का कहना है कि दिसंबर, 2015 में जब प्रधानमंत्री काबुल गए थे तभी उन्होंने गेहूं देने की बात कही थी।
भारत ने संयुक्त राष्ट्र में उठाया बलूचिस्तान का मामला, पाक पर साधा निशाना
तब भारत 1.71 लाख टन गेहूं देने को तैयार था। बाद में इसे बढ़ा कर दो लाख टन कर दिया गया। इस बारे में कई महीने पहले पाकिस्तान को पत्र लिखा गया लेकिन अभी तक उसका कोई जवाब नहीं आया है। अब गेहूं पहुंचाने के दूसरे मार्ग पर विचार किया जा रहा है।
भारत व अफगानिस्तान के बीच व्यापार के मुद्दे की राह में पाकिस्तान हर तरह से अड़चन डालता है। वर्तमान में पाकिस्तान बाघा सीमा से अफगानिस्तानी उत्पादों को भारत में आने तो देता है, लेकिन भारतीय उत्पादों को इस मार्ग से वहां जाने की इजाजत नहीं देता है। इस पर हाल ही में राष्ट्रपति गनी ने पाकिस्तान की जम कर खिंचाई की थी।
COMMENTS