ये जो चेहराकिताब (फेसबुक) है न, बहुते काम की चीज है. बवाल करने से लेकर किसी की मदद करने तक सब कुछ होता है यहां. अभी पिछले दिनों की ही बात है. पुणे में एक एटीएम गार्ड की साइकिल चोरी हो गई. एटीएम था कोटक महिंद्रा बैक का. साइकिल चोरी की रपट लिखने में भी 10 तरह के ड्रामे करती. बेचारा वो बूढ़ा आदमी शायद यही सोच कर रपट लिखाने थाने नहीं गया. और रास्ते में आने-जाने वाले से अपनी साइकिल के बारे में पूछता. वो साइकिल ही उस गार्ड का घर आने-जाने का जरिया था. मुझे तो ये समझ नहीं आया कि किस चोमू को जरूरत पड़ी थी कि एक बेचारे गार्ड की साइकिल चुरा ले.
इसी दौरान गार्ड की भेंट तन्वी जैन से हुई. वो पास के ही कॉलोनी में रहती है. तन्वी को गार्ड का दर्द दिखा. और उसने झट से उसकी मदद करने का मन बना लिया. तन्वी ने फेसबुक पर एक पोस्ट लिखा. और गार्ड की मदद के लिए रिक्वेस्ट किया.
तन्वी का पोस्ट पढकर काफी लोग उस गार्ड की हेल्प करने के लिए आगे आए. कोई अपनी पुरानी साइकिल देने को तौयार था. बहुत लोगों के कमेंट्स आए. एक कैफे के मालिक के साथ मिलकर तन्वी ने गार्ड को नई साइकिल खरीद कर दे दिया.जब उन अंकल को साइकल मिली तब क्या हुआ? ये प्राइसलेस है.
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