नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय बिरादरी आजकल पाकिस्तान से ख़फा है और खुलकर भारत के पक्ष में खड़ी दिखाई दे रही है। इसका जीता जागता सबूत है भारत के सर्जिकल स्ट्राइक को दुनिया भर से मिल रहा समर्थन। यही कारण है कि पाकिस्तान अब बेहद दबाव में है, क्योंकि पाकिस्तान के दोस्त एक-एक कर के खुद को उससे अलग कर रहे हैं।
भारत की कूटनीति के चलते पाकिस्तान पस्त हो गया है। भारत की मोदी सरकार ने पाकिस्तान की सामरिक, आर्थिक के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय मोर्चे पर ऐसी घेराबंदी की है कि उसका हुक्का पानी बंद होने की कगार पर है। हालात ये है कि अमेरिका ने पाकिस्तान को सख्त चेतावनी दी है तो उसके सबसे गहरे दोस्त चीन ने भी आतंकवाद के मुद्दे पर उससे किनारा करना शुरू कर दिया है।
सूत्र बता रहे हैं कि सोमवार को नवाज शरीफ और सेना के अधिकारियों के बीच जो गुप्त बैठक हुई उसमें सबसे ज्यादा इसी बात पर चर्चा हुई कि आखिर पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी में अलग थलग होने से कैसे बचाया जाए। क्योंकि ये सभी जानते हैं कि पाकिस्तान का वजूद विदेश से मिल रही आर्थिक और तकनीकी मदद पर ही टिकी हुई है।
पाकिस्तान से क्यों खफा है अमेरिका
दरअसल, अमेरिका पाकिस्तान के मंत्रियों की बार-बार परमाणु धमकी के बयानों से पहले ही खफा है और पाकिस्तान को फटकार लगा चुका है। इसके अलावा अमेरिका के बार-बार कहने के बावजूद हक्कानी नेटवर्क पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। यही एक बड़ा कारण है कि भारत की सर्जिकल स्ट्राइक के बाद अमेरिका ने खुलकर इसका समर्थन किया और पाकिस्तान को संदेश दिया कि किसी भी हालत में उसे अपनी धरती से आतंकवाद को खत्म करना ही होगा।
ब्रिटेन और रूस ने भी किया किनारा
अमेरिका के साथ-साथ ब्रिटेन में भी पाकिस्तान को आतंकवादी देश घोषित करने को लेकर ऑन लाइन मुहिम शुरू हो गई है। यही नहीं जिस रूस के साथ साझा सैनिक अभ्यास करने और अपना नया दोस्त होने का पाकिस्तान दावा कर रहा है उसने भी आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान का साथ छोड़कर खुल्लम-खुल्ला भारत की सैन्य कार्रवाई का समर्थन किया है।
सबसे अच्छे दोस्त चीन ने भी कसी नकेल
चीन पाकिस्तान का सबसे गहरा दोस्त है, लेकिन दुनिया में जब आतंकवाद के खिलाफ सभी देश एकजुट हो रहे हैं तो ऐसे में चीन भी पाकिस्तान के पाले में खड़ा नहीं होना चाहता है। हालांकि चीन ने संयुक्त राष्ट्र में अजहर मसूद को आतंकी घोषित करने की भारत की मुहिम का विरोध कर पाकिस्तान के साथ दोस्ती का फर्ज जरूर निभाया है, लेकिन दुनिया भर में उसकी जो किरकिरी हो रही है, उसके बाद अब चीन ने पाकिस्तान को संदेश दिया है कि वो जल्द आतंकी संगठनों पर कार्रवाई जरूर करे।
अमेरिका और चीन पाकिस्तान के दो सबसे बड़े मददगार देश हैं, लेकिन पिछले कुछ समय से पाकिस्तान को यहां से सिवाय फटकार के और कुछ नहीं मिल रहा है। इस फेहरिश्त में और देशों का नाम जुड़ता जा रहा है। यही कारण है कि अब उसे अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी में अलग-थलग होने का डर सता रहा है और इसकी शुरुआत दक्षिण एशिया से हो चुकी है।
भारत ने पहली बार किया सार्क बैठक का बहिष्कार
सार्क के इतिहास में ये पहली बार है जब भारत ने आतंकवाद के मुद्दे पर इस बैठक का बहिष्कार किया। इस बार सबसे अहम बात ये थी कि न सिर्फ भारत बल्कि बांग्लादेश और अफगानिस्तान जैसे देशों ने भी इस्लामाबाद में होने वाली सार्क की बैठक में जाने से मना कर दिया। सार्क की बैठक के इस तरह से बहिष्कार से अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान की बड़ी किरकिरी हुई। साथ ही दुनिया में ये संदेश गया कि पाकिस्तान आतंकवाद परस्त देश है।
भारत ने कर दिया आइसोलेट
पाकिस्तान बुरी तरह आइसोलेट हो गया है। नवाज़ शुरू से भारत के साथ रिश्ते सुधारना चाहते थे। वो समझते हैं कि ये सब जरूरी है पाकिस्तान को ऊपर उठाने के लिए, लेकिन उनका महत्व जीरो के बराबर है।
हालत ऐसी कि शरीफ के खिलाफ खड़ी हुई पाकिस्तानी फौज
दरअसल इस समय दुनिया भर से पाकिस्तान पर आतंकवाद के खिलाफ लड़ने का एक बड़ा दबाव है। अब तक पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ लड़ने का दिखावा करके अमेरिका और दूसरे देशों से आर्थिक मदद लेता रहा, लेकिन भारत ने आखिरकार पाकिस्तान को बेनकाब कर दिया। यही कारण है कि पाकिस्तान अब अपनी साख बचाने की जद्दोजहद लड़ रहा है, लेकिन हालात इतने खराब हो गए हैं कि पाकिस्तानी फौज नवाज शरीफ के खिलाफ खड़ी हो गई है।
अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी चाहती है कि मसूद अजहर, हाफिज सईद के साथ-साथ जैश और लश्कर जैसे आतंकी संगठनों पर कार्रवाई की जाए। साथ ही लगातार पाकिस्तान पर दबाव भी बढ़ रहा है। सूत्र बताते हैं कि मंगलवार को नवाज शरीफ ने सेना के अधिकारियों के साथ जो बैठक की थी, उसमें इस बात का अंदेशा जताया गया है कि अगर पाकिस्तान ने आतंकियों पर कार्रवाई नहीं की तो अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी में वो अलग-थलग पड़ सकते हैं।
नवाज ने फौज और आईएसआई भी आतंकियों को संरक्षण न देने को कहा है, लेकिन मुश्किल ये है कि नवाज शरीफ की इस बात को न तो फौज मानने को तैयार है और न ही आईएसआई। ऐसे में अब खुद नवाज की कुर्सी पर ही खतरा मंडराने लगा है, क्योंकि जिन आतंकियों को पाकिस्तानी फौज और आईएसआई ने पाला है वो उन पर कार्रवाई करने को तैयार नहीं है।
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