तोक्यो। जापान ने अपने परंपरागत रुख से हटकर आज भारत के साथ ऐतिहासिक असैन्य परमाणु सहयोग करार पर हस्ताक्षर किया। इसके साथ ही परमाणु क्षेत्र में दोनों देशों के उद्योगों के बीच गठजोड़ के लिए दरवाजे खुल गए। यही नहीं, दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने के लिए नौ अन्य समझौतों पर भी हस्ताक्षर किए।
अपने जापानी समकक्ष शिंजो आबे के साथ विस्तृत बातचीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि दोनों देशों के बीच हुए समझौतों में परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग में सहयोग से जुड़ा करार शामिल है जो स्वच्छ ऊर्जा साझेदारी के निर्माण के संदर्भ में उठाया गया ऐतिहासिक कदम है। दोनों देशों के बीच छह साल से अधिक समय की गहन बातचीत के बाद दोनों देशों ने परमाणु करार पर हस्ताक्षर किए हैं। मोदी के साथ साझा प्रेस वार्ता में आबे ने कहा कि परमाणु उर्जा के शांतिपूर्ण उद्देश्य से जुड़े समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने से वह बहुत प्रसन्न हैं।
जापानी प्रधानमंत्री ने कहा कि यह समझौता एक कानूनी ढांचा है जिसके तहत भारत परमाणु उर्जा के शांतिपूर्ण उद्देश्य को लेकर तथा परमाणु अप्रसार की व्यवस्था में भी जिम्मेदारी के साथ काम करेगा हालांकि, भारत एनपीटी में भागीदार अथवा हस्ताक्षरकर्ता नहीं है। आबे ने कहा कि यह परमाणु करार विश्व को परमाणु हथियारों से मुक्त बनाने की जापान की आकांक्षा के अनुरूप है। गौरतलब है कि परमाणु प्रसार को लेकर जापान का पारंपरिक तौर पर कड़ा रूख रहा है क्योंकि द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान उसने परमाणु बम हमले की त्रासदी झेली है।
आबे ने कहा कि सितंबर, 2008 में भारत ने परमाणु उर्जा के शांतिपूर्ण उद्देश्य का अपना इरादा जाहिर किया था और परमाणु परीक्षण पर स्वत: रोक लगाने का एलान भी किया था। मोदी ने कहा कि परमाणु उर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग से जुड़े करार पर आज किया गया हस्ताक्षर स्वच्छ उर्जा साझेदारी के निर्माण के लिए हमारे संपर्क में ऐतिहासिक कदम का द्योतक है।
A landmark deal for a cleaner, greener world! PM @narendramodi and PM @AbeShinzo witness exchange of the landmark Civil Nuclear Agreement pic.twitter.com/1HPy72XJhi— Vikas Swarup (@MEAIndia) November 11, 2016
इस करार में सहयोग के लिए आबे, जापान सरकार और संसद का धन्यवाद करते हुए मोदी ने कहा कि इस क्षेत्र में हमारे सहयोग से जलवायु परिवर्तन की चुनौती का मुकाबला करने में हमें मदद मिलेगी। मैं जापान के लिए इस तरह के समझौते के विशेष महत्व को स्वीकार करता हूं। भारत के साथ अमेरिका, रूस, दक्षिण कोरिया, मंगोलिया, फ्रांस, नामीबिया, अर्जेंटीना, कनाडा, कजाकिस्तान और आस्ट्रेलिया पहले ही परमाणु करार पर हस्ताक्षर कर चुके हैं।
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