लखनऊ : ‘नोटों की माला’ वाली टिप्पणी पर भड़कीं मायावती ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि दलित की बेटी नोटों की माला पहने, ये उन्हें हजम नहीं होता। मोदी खुद अपने गिरेबान में झांकें कि कितने दूध के धुले हैं।
मायावती ने मोदी की गाजीपुर रैली के तुरंत बाद बुलायी प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि रैली बुरी तरह ‘फ्लाप’ रही। भारी मात्रा में काला धन इस रैली के जरिए खपाया गया है। लोगों को ढाई ढाई सौ रुपये देकर बुलाया गया। रेल और बसों का किराया नहीं लिया गया। रैली में ज्यादातर बिहार के लोग लाये गये थे।
उन्होंने कहा, ‘अपने गिरेबान में झांककर क्या मोदी इसका जवाब देंगे कि वे कितने दूध के धुले हैं भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के मामले में आप कितने साफ सुथरे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘अपनी विफलताओं से जनता का ध्यान बंटाने के लिए मोदी विरोधी पार्टियों पर अनर्गल आरोप लगाते रहते हैं जो निन्दनीय है। नीतिगत आधार पर आरोप लगें तो ठीक है लेकिन व्यक्तिगत आरोप नहीं लगने चाहिए। एक दलित की बेटी को नोटों की माला पहनायी जाए, इनके गले के नीचे नहीं उतरता।’ मायावती ने कहा कि प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठकर इतनी ‘छिछोरी’ बात करेंगे तो समझ सकते हैं कि दलितों के मामले में इनकी (मोदी) सोच बदली नहीं है।
उन्होंने सफाई दी कि बसपा के लोग अपनी नेता को काली कमाई के नोट से नहीं बल्कि खून पसीने की कमाई का थोडा थोडा धन एकत्र कर तब नोटों की माला पहनाकर अपनी नेता का स्वागत करते हैं। ये किसी से छिपा नहीं है।
मायावती ने कहा कि मायावती को नोटों की माला पहनायी जाए ये इन्हें (मोदी और भाजपा) हजम नहीं हो रहा है
उत्तर प्रदेश में 2010 के दौरान एक रैली में मायावती को बसपा कार्यकर्ताओं ने नोटों की विशालकाय माला पहनाकर स्वागत किया था। उस समय वह राज्य की मुख्यमंत्री थीं।
COMMENTS