नई दिल्ली। हम सब की जेब की शान बढ़ाने वाले करीब 2300 करोड़ नोट अब जेब के लिए बोझ बन गए हैं। इस बोझ को खत्म करने के लिए उसे उसी जगह पहुंचाया रहा है, जहां इसका जन्म हुआ। यानी रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया, लेकिन नोटों को नष्ट करने का कम इतना आसान नहीं है। अक्टूबर 1987 को 500 के पुराने नोट का जन्म हुआ। वहीं, नवंबर 2000 में 1000 के नोट का जन्म हुआ और अब मोदी सरकार ने 9 नवंबर, 2016 को 500-1000 के नोट का अंत कर दिया है।
29 साल तक चला 500 रुपए का नोट
9 नवंबर 2016 ये वो तारीख़ है जिस दिन 29 साल की उम्र पूरी कर 500 का ये नोट हमेशा-हमेशा के लिए खत्म हो गया। ठीक इसी तरह 1000 रूपए का नोट भी 16 साल तक देशभर में घूमने के बाद वापस वहीं पहुंच गया जहां से इसकी शुरुआत हुई। यानी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया।
अब इन नोटों का क्या होगा? ये सवाल इसलिए है क्योंकि जितनी बड़ी संख्या में ये नोट बैंक पहुंच रहे हैं, उसकी तादाद सुनकर आप हैरान हो जाएंगे। तकरीबन 2300 करोड़ नोट अब देश के सबसे बड़े बैंक में पहुंच रहे हैं। ये संख्या इतनी ज़्यादा है कि अगर इन्हें इन्हें एक के ऊपर एक करके रखा जाए तो दुनिया की सबसे ऊंची चोटी यानी माउंट एवरेस्ट से 300 गुना ऊंचा पहाड़ तैयार हो जाएगा। माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई 8848 मीटर है जबकि नोटों से 26.54 लाख मी. ऊंचा पहाड़ बनेगा।
इसी तरह अगर 500 और 1000 के इन नोटों को बिछा कर एक रास्ता बनाया जाए तो चांद तक आने-जाने के लिए पांच बार रास्ता बनाया जा सकता है। दरअसल चलन से बाहर हुए नोटों की संख्या इतनी बड़ी है कि इन्हें ख़त्म करना भी उतनी ही बड़ी चुनौती है।
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