लखनऊ. यह सरकारी महकमा है और फिर इसके अधिकारी सूबे की रसूखदार पार्टी के नेता से पंगा लेने की जुर्रत कैसे जुटा सकते हैं. शायद उन्हें यह बखूबी अहसास है कि सरकार तो कुछ वर्षों के लिए है और उन्हें नौकरी उससे कहीं अधिक वर्ष तक करनी है. यही वजह है कि पूर्व सीएम अखिलेश यादव के सरकारी बंगले में हुई तोड़फोड़ की जांच करने की जिम्मेदारी अधिकारी एक-दूसरे पर टाल रहे हैं. जिम्मेदार विभाग के मुखिया इसकी जांच दूसरे विभाग की बता अपना पल्ला झाड़ रहे हैं तो जांच कमेटी में शामिल अधिकारी नासाज सेहत का हवाला दे छुट्टी पर चले गए हैं.
बंगले पर सियासी बवाल
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बीते दिनों राज्य सम्पत्ति विभाग ने पूर्व सीएम से सरकारी बंगलों को खाली कराने की कार्रवाई की थी. इसमें समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और सूबे की पिछली सरकार की अगुवाई करने वाले अखिलेश यादव का चार विक्रमादित्य मार्ग स्थित आवास भी शामिल था. अखिलेश यादव के बंगला खाली करने के बाद राज्य सम्पत्ति विभाग ने इसे मीडिया के लिए खोला तो एक नया बखेड़ा खड़ा हो गया. बंगले में तोड़फोड़ और नुकसान की तस्वीरें सामने आईं. इस मामले में खासा सियासी हंगामा भी हुआ. विभाग ने इस तोड़फोड़ की जांच के लिए पीडब्ल्यूडी विभाग से मदद मांगी.
गठित हुई पांच सदस्यीय कमेटी
अखिलेश यादव ने अपने सरकारी बंगले को सही हालत में छोड़ने की बात कहते हुए कहा था कि वे सिर्फ अपने खर्चे पर लगाए गए सामान को ले गए हैं. उन्होंने मौजूदा सीएम योगी आदित्यनाथ पर 'टोली पॉलिटिक्स' करने का आरोप भी लगाया था. इसके बाद पीडब्ल्यूडी ने राज्य सम्पत्ति विभाग की सिफारिश पर एक पांच सदस्यीय कमेटी गठित की. इसे अखिलेश के बंगले में हुई तोड़फोड़ की जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई. इस कमेटी में चीफ इंजीनियर बिल्डिंग सुधांशु कुमार की अगुवाई में निर्माण निगम के एमडी, चीफ आर्किटेक्ट और भवन एवं इलेक्ट्रिकल के एक—एक इंजीनियर को शामिल किया गया.
पीडब्ल्यूडी ने खुद को बचाया
पूर्व सीएम के इस मामले में जांच करने से खुद पर आंच आने के डर से अधिकारी घिरे हुए हैं. नियम के मुताबिक यह टीम पीडब्ल्यूडी के एमडी को गठित करनी चाहिए. लेकिन, पूर्व सीएम का मामला होने के नाते उन्होंने इससे दूर रहने ही बेहतर समझा. इस पर पीडब्ल्यूडी के विभागाध्यक्ष वीके सिंह का कहना है कि यह मामला प्रमुख अभियंता नियोजन एवं परिकल्प एके शर्मा देख रहे हैं.
ठंडी पड़ी जांच की आंच
इस मामले को देख रहे एके शर्मा कुछ भी कहने को तैयार नहीं हैं. वहीं जांच टीम का नेतृत्व करने वाले सुधांशु कुमार ने अपनी खराब सेहत का हवाला देते हुए अवकाश पर चले गए हैं. जांच टीम में निर्माण निगम के एमडी को भी शामिल करने की बात कही गई थी. लेकिन, उन्हें अभी इस तरह का कोई आदेश तक जारी नहीं हुआ है. दलील यह दी जा रही है कि चूंकि सुधांशु कुमार निर्माण निगम के एमडी राजन मित्तल से जूनियर हैं, इसलिए किसी अन्य इंजीनियर को इस कमेटी में रखा गया है.
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