इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पुलिस व पीएसी कांस्टेबल भर्ती 2015 के रिक्त पदों को अगली भर्ती के लिए कैरी फॉरवर्ड करने पर रोक लगा दी है। साथ ही इस मामले में राज्य सरकार व पुलिस भर्ती बोर्ड से जवाब मांगा है। यह आदेश न्यायमूर्ति एससी त्रिपाठी ने अजय कुमार मिश्र व सैकड़ों अन्य अभ्यर्थियों की याचिकाओं पर वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी और अधिवक्ता विभू राय व सीमांत सिंह को सुनकर दिया है।
मामले के तथ्यों के अनुसार पुलिस भर्ती बोर्ड ने 29 दिसंबर 2015 को 28,916 पुलिस व पीएससी कांस्टेबल और 5800 महिला कांस्टेबल के पद विज्ञापित किए थे। इस भर्ती का अंतिम परिणाम 15 मई 2018 को और संशोधित परिणाम 21 मई 2018 को घोषित किया गया। इसके बाद याचियों ने याचिका दाखिल कर कहा कि भर्ती में बचे पदों पर मेरिट को नीचे लाकर नियुक्तियां की जाएं।
उनका कहना था कि पदों को कैरी फॉरवर्ड न किया जाए। याचिका के अनुसार कई ऐसे अभ्यर्थी जो दस्तावेजों के सत्यापन के समय या मेडिकल टेस्ट में चयन से बाहर हो गए थे या जिन्होंने ट्रेनिंग बीच में छोड़ दी। उनके पद रिक्त हो गए।
पुलिस भर्ती बोर्ड ने 23 जनवरी 2019 को ऐसे ही मामले में 2018 के 13 पद भरे थे इसलिए 2015 की भर्ती के बचे पदों को मेरिट में नीचे रह गए अभ्यर्थियों से भरा जाए, न कि उन्हें कैरी फॉरवर्ड किया जाए।
मामले के तथ्यों के अनुसार पुलिस भर्ती बोर्ड ने 29 दिसंबर 2015 को 28,916 पुलिस व पीएससी कांस्टेबल और 5800 महिला कांस्टेबल के पद विज्ञापित किए थे। इस भर्ती का अंतिम परिणाम 15 मई 2018 को और संशोधित परिणाम 21 मई 2018 को घोषित किया गया। इसके बाद याचियों ने याचिका दाखिल कर कहा कि भर्ती में बचे पदों पर मेरिट को नीचे लाकर नियुक्तियां की जाएं।
उनका कहना था कि पदों को कैरी फॉरवर्ड न किया जाए। याचिका के अनुसार कई ऐसे अभ्यर्थी जो दस्तावेजों के सत्यापन के समय या मेडिकल टेस्ट में चयन से बाहर हो गए थे या जिन्होंने ट्रेनिंग बीच में छोड़ दी। उनके पद रिक्त हो गए।
पुलिस भर्ती बोर्ड ने 23 जनवरी 2019 को ऐसे ही मामले में 2018 के 13 पद भरे थे इसलिए 2015 की भर्ती के बचे पदों को मेरिट में नीचे रह गए अभ्यर्थियों से भरा जाए, न कि उन्हें कैरी फॉरवर्ड किया जाए।
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