कोरोनावायरस के असर बिहार के पोल्ट्री व्यवसाय पर भी पड़ा है। बिहार में पोल्ट्री व्यवसाय पूरी तरह ध्वस्त हो गया है। व्यवसाय से जुड़े लोगों का कहना है कि कोरोना का चिकेन से कोई लेना देना नहीं है, लेकिन अफवाह के कारण यह व्यवसाय पूरी तरह ध्वस्त हो गया। अरवल में पोल्ट्री व्यवसाय से जुडे लोग मुर्गा ऐसे ही मुफ्त में बांट दिए गए, क्योंकि उनके पास ग्राहक ही नहीं आ रहे थे। पोल्ट्री फार्म मालिकों द्वारा मुर्गों को और जिंदा रखने के लिए भी अब पैसे नहीं है। अरवल के खोखरी गांव में अवस्थित पोल्ट्री फार्म मालिक जितेंद्र सिंह का कहना है कि उनके पोल्ट्री फार्म अभी भी उनके फर्म में 10 हजार से ज्यादा मुर्गा थे। ग्राहकों के अभाव में मुर्गा यूं ही पड़ा हुआ था। वे इसे अब मुफ्त में बांट रहे हैं।
एक चूजा तैयार करने में करीब 24 रुपये का खर्च
एक अनुमान के मुफ्ताबिक, बिहार में ही हजारों करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। कर्ज लेकर व्यवसाय कर रहे लोगों की हालत यह है कि आने वाले दिनों में उनके कर्ज लौटाने का भी भय सता रहा है। पश्चिमी चंपारण के हरनाटांड़ स्थित चम्पारण एग्रो फर्म के संचालक रविशंकर नाथ तिवारी बताते हैं कि ब्रीडिग फामिंर्ग में काफी बड़े पैमाने में चूजा तैयार किया जाता है, लेकिन इस बार कोरोना के अफवाह ने सारा धंधा चौपट कर दिया है। तिवारी बताते हैं कि एक चूजा तैयार करने में करीब 24 रुपये का खर्च आता है। लेकिन इस बार मुर्गे की बिक्री नहीं होने से एक लाख से ज्यादा चूजे को जमीन में दफना दिया गया।
मुर्गे को तैयार करने में करीब 80 रुपये का खर्च, 60 रुपये पर भी खरीददार नहीं मिल रहे
उन्होंने कहा, “एक ब्रायलर मुर्गे को तैयार करने में करीब 80 रुपये का खर्च आता है, लेकिन अफवाह की वजह से बिक्री बंद हो गई। व्यवसायियों ने इसे 10 रुपये से लेकर 30 रुपये तक बेचना शुरू किया। क्योंकि आगे फर्म में मुर्गा रखना पड़े तो दाना खिलाना पड़ेगा, और दाना खिलाने में भी भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। ऐसे में जैसे तैसे लोगों को जागरूक कर बिक्री की जा रही है।”
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