टीएमसी के अभिषेक बनर्जी ने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह हफ्तों तक चुप्पी साधे रखने के बाद केवल झूठ से लोगों को गुमराह करने के लिए बोलते हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी ने कहा कि शाह उन लोगों की बात कर रहे हैं जिन्हें केंद्र ने किस्मत के भरोसे छोड़ दिया। उन्होंने ट्वीट किया, 'इस संकट के दौरान अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में नाकाम रहे गृह मंत्री हफ्तों तक चुप्पी साधे रखने के बाद केवल झूठ बोल कर लोगों को गुमराह करने के लिए बोलते हैं। विडम्बना यह है कि वह ऐसे लोगों के बारे में बात कर रहे है जिन्हें सरकार ने उनकी किस्मत के सहारे छोड़ दिया। अमित शाह अपने झूठे आरोप साबित करें या माफी मांगें।'
दरअसल, ममता बनर्जी को लिखे अपने पत्र में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि पश्चिम बंगाल सरकार प्रवासी मजदूरों को लेकर जाने वाली ट्रेनों को राज्य पहुंचने की अनुमति नहीं दे रही है जिससे श्रमिकों के लिए और दिक्कतें खड़ी हो सकती हैं।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखकर, शाह ने कहा कि ट्रेनों को पश्चिम बंगाल पहुंचने की अनुमति न देना राज्य के प्रवासी श्रमिकों के साथ 'अन्याय' है। देश के विभिन्न हिस्सों से अलग-अलग गंतव्य स्थानों तक प्रवासी मजदूरों को ले जाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही 'श्रमिक स्पेशल' ट्रेनों का संदर्भ देते हुए गृह मंत्री ने पत्र में कहा कि केंद्र ने दो लाख से ज्यादा प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाने की सुविधा प्रदान की है।
अमित शाह ने कहा कि पश्चिम बंगाल के प्रवासी श्रमिक भी घर पहुंचने के लिए बेचैन हैं और केंद्र सरकार ट्रेन सेवाओं की सुविधा भी दे रही है। लेकिन हमें पश्चिम बंगाल से उम्मीद के मुताबिक सहयोग नहीं मिल रहा है। पश्चिम बंगाल की राज्य सरकार ट्रेनों को पश्चिम बंगाल पहुंचने की अनुमति नहीं दे रही है। यह पश्चिम बंगाल के प्रवासी मजदूरों के साथ अन्याय है। यह उनके लिए और दिक्कतें खड़ी करेगा।
अमित शाह पर कांग्रेस ने कसा तंज
कांग्रेस ने गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखे जाने के बाद शनिवार को कहा कि गृह मंत्री को ऐसा ही पत्र कर्नाटक और गुजरात के मुख्यमंत्रियों को भी लिखना चाहिए क्योंकि उनकी सरकारें मजदूरों को घर जाने से रोक रही हैं। पार्टी प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने यह भी कहा कि केंद्र अथवा किसी भी राज्य सरकार को संकट के इस समय राजनीति नहीं करनी चाहिए तथा मजदूरों की मदद के लिए रणनीति बनाने पर जोर देना चाहिए। उन्होंने एक बयान में कहा, 'आश्चर्य इस बात का है कि लॉकडाउन में अमित शाह जी ने पहली बार बयान दिया है। उन्हें मजबूर मजदूरों के बारे में बात करने में 40 दिन लग गए। जब देश में कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक लोग परेशान थे, मजदूर मर रहे थे तो वह कुछ नहीं बोले। इस बात को यह देश याद रखेगा।'
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