भारत ने चीन की धोखेबाजी के बाद कई स्तरों पर आक्रामक कूटनीतिक प्लान बनाया है। भारत के प्लान बी में ये तय हो चुका है कि ताइवान से अपने सांस्कृतिक संबंध व लोगों से संपर्क के स्तर पर सहयोग बढ़ाया जाएगा। गैर सरकारी स्तर पर चलने वाली मुहिम को सरकार भी अपना समर्थन दे सकती है। साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ताइवान को समर्थन करने वाले देशों के साथ भी भारत खड़ा नजर आएगा। भारत वैश्विक मंचों पर चीन को बेनकाब करने की मुहिम भी चलाएगा।
चीन के विश्वासघात का देंगे जवाब-
सूत्रों ने कहा कि प्लान बी का मतलब ये है कि अगर चीन पूर्व के समझौतों के मुताबिक व्यवहार नही करता है, तो भारत कई स्तरों पर उसकी घेराबंदी तेज करेगा। इसके लिए कूतिनीतिक स्तर पर कई विकल्पों पर गौर हो रहा है। सूत्रों ने कहा कि कूटनीतिक स्तर पर वार्ताओं के साथ सरकार में उन सभी तरीको पर मंथन कर रही है जहाँ चीन को घेरा जा सकता है। ताइवान से अभी सरकार के स्तर पर कोई समझौता या संपर्क नहीं किया गया है, लेकिन भारत आने वाले दिनों में इस मामले में अमेरिकी नीति को पूर्ण समर्थन करे, तो अचरज नहीं होना चाहिए।
बड़े शिफ्ट की तैयारी -
सूत्रों ने कहा कि भारत चीन के व्यावहार को लेकर काफी आहत है। देर सबेर भारत की नीति में बड़ा शिफ्ट होना कोई अचरज की बात नहीं होगी। ये परिवर्तन तिब्बत की भारत नीति में भी देखने को मिल सकता है। सूत्रों ने स्पष्ट किया कि भारत अब रक्षात्मक होने की कीमत नही चुकाना चाहता। इसलिए हम चीन के मामले में भी आक्रामक कूटनीतिक रास्ता अख्तियार कर सकते हैं।
चीन खोल रहा कई फ्रंट -
सूत्रों ने कहा कि चीन लगातार कई मोर्चों पर भारत को असहज करने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान और नेपाल के बहाने भी भारत को निशाना बनाने की चीन की साजिश स्पष्ट है। इसलिए काउंटर रणनीति पर काम करना भारत की भी मजबूरी है।
गलवान में दबाव बनाए रखना चाहता है चीन-
सार्वजनिक रूप से बयानों से इतर चीन की कोशिश गलवान घाटी में दबाव बनाए रखने की है। कूतिनीतिक स्तर पर महसूस किया जा रहा है चीन अपनी चालबाजी से समय लेना चाहेगा और गलवान घाटी के नदी के किनारे के इलाकों में अपनी तैयारियां मजबूत करना चाहेगा। भारत चीन की इस मंशा को विफल करने के लिए कमर कस चुका है। सूत्रों ने कहा कि गलवान में हिंसक झड़प के बाद जो स्थिति बनी है उससे रणनीतिक स्तर पर बदलाव होना तय है। इसके नतीजे आने वाले दिनों में देखने को मिलेंगे।
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